अजब-गजब! ये कैसा Festival जिसे कुंए में कूद कर करते है सेलिब्रेट, जाने विस्तार से
- By Sheena --
- Saturday, 24 Jun, 2023
Unique Festival Sao Joao Celebrate In Goa
Unique Festival Sao Joao Celebrate In Goa : हर साल 24 सितंबर को गोवा में उत्सव का माहौल रहता है, खासकर उत्तरी गोवा के कुछ गांवों में। ऐसा इसलिए क्योंकि आज ही के दिन 24 जून को साओ जोआओ उत्सव मनाया जाता है। यह वह समय है जब मानसून की शुरुआत के बाद, गोवा में नदियां पानी से भर जाती हैं, झीलें पानी से भर जाती हैं और पहाड़ी इलाकों में झरने जीवंत हो उठते हैं। इस समय गोवा की हरी-भरी हरियाली मनमोहक है।
त्योहार के बारे में
गोवा का साओ जोआओ त्योहार लोगों को एक दूसरे से जोड़ने का भी जरिया है। बारिश का आनंद लेने और पानी में कूदकर मज़ा लेने से पहले लोग वहां के पेय पदार्थ फेन्नी का आनंद लेते हैं। कार्निवाल के अंत में लज़ीज़ व्यंजनों का आनंद लेने की बारी आती है। लोग अपने मनपसंद के स्थानिय व्यंजनों और पेय पदार्थों का मज़ा लेते हैं। पर्व के दौरान सॉल्सेट तालुक पर वहाँ के लोक नृत्य को करने का भी रिवाज़ है। बार्डेज़ में रंग बिरंगे पारंपरिक तरीके से सजे नौकाओं की नौका दौड़ की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। नौका दौड़ के लिए सजी नाव साओ जोआओ के उत्साहिक, हर्षोल्लास और मनोरंजन से भरे पर्व का मिश्रण है। यह कार्निवाल लोगों को एक साथ एक दूसरे के करीब लाता है। जॉन बैपिस्ट को बाद में जॉर्डन नदी में यीशु मसीह का नाम दिया गया था।
कब मनाया जाता है साओ जोआओ
साओ जोआओ को सैन जानव भी कहा जाता है। इसे हर साल 24 जून को गोवा में मनाया जाता है। ये एक एक वार्षिक कैथोलिक त्योहार है। मास के बाद, युवा गोयन कैथोलिक पुरुष सेंट जॉन द बैपटिस्ट को श्रद्धांजलि के रूप में स्थानीय लोग इसे मनाते हैं।
कुओं में लोग लगाते हैं छलांग
आपको ये सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इस दौरान लोग कुओं में छलांग लगाते हैं। चूंकि कुएं तेजी से गायब हो रहे हैं, इसलिए लोग इसे स्विमिंग पूल या फिर तालाबों में कूदकर मनाते हैं। कुएं और तालाबों के साथ ही लोग फव्वारे और नदियों में भी खुशी से छलांग लगाते हैं। अंग्रेजी में इसे लीप ऑफ जॉय (Leap of Joy) कहा जाता है। यह त्योहार हर साल जून में राज्य में मानसून के मौसम की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
दुल्हे के लिए होता है खास
ये त्योहार नए दुल्हों के लिए बेहद खास होता है। कहते हैं इस पर्व के दौरान नव विवाहित पुरुषों या शादी होने वाले दुल्हों द्वारा कुएं में डुबकी लगाने से उनकी प्रजनन क्षमताएं बेहतर होती हैं और उनका पारिवारिक जचीवन अच्छा रहता है। ऐसे में इस त्योहार में आपको कुएं में डुबकी लगाने वाले अधिकतर नव विवाहित पुरुष मिलेंगे।
कुएं में क्यों कूदते हैं लोग
ईसाई धर्मग्रंथों को पलटकर देखें तो इसका बखान मिलता है। बताते हैं कि मदर मैरी यीशु को जन्म देने के लिए सेंट एलिजाबेथ के आश्रम में पहुंची थीं। ऐसे में जब उन्होंने यीशु के आने की खबर दी तो वो गर्भ में उन्होंने छलांग लगा दी। इसलिए इस दिन पुरुष मां के गर्भ स्वरुप कुएं में डुबकी लगाते हैं। कुएं में कूदना गर्भ का प्रतिनिधित्व माना जाता है जबकि छलांग यीशु मसीह के जन्म के साथ अनुभव की गई खुशी प्रतीक है।
तालाबों में ढूंढते हैं तोहफे
इस पर्व में लोग तालाबों और कुओं में कूदते और फिर तोहफों को ढूंढते हैं। यह एक-दूसरे को जानने-समझने का पर्व होता है। इस दौरान लोग पारंपरिक वेश-भूषा में दिखाई देते हैं। इसमें सभी कोपेल, फलों, फूलों और पत्तियों का मुकुट पहनते हैं।